नियम विरुद्ध चल रहा आबकारी विभाग, योग्यता नहीं फिर भी पहना दिया ताज…

रायपुर| आबकारी विभाग की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। राजधानी रायपुर में आबकारी आयुक्त या उपायुक्त या सहायक आयुक्त की कुर्सी पर कई अधिकारियों ने आसन ग्रहण किया और सभी अधिकारियों ने अपने-अपने हिसाब से राजधानी के शराब दुकानों को चलाने की कोशिश भी की। लेकिन शायद अधिकारी जी ही पूरे नियम कानून भूल गए।

आज राजधानी रायपुर के कई ऐसे शराब दुकान हैं जहां योग्यता नही सेटिंग का दौर चल रहा है।जिसका परिणाम भी सरकारी राजस्व में दिख रहा है।

कई दुकानें ऐसी जहां नियम विरुद्ध हुई नियुक्ति...

राजधानी रायपुर के कई शराब दुकान ऐसे हैं जहां लड़कों की नियुक्ति को लेकर आबकारी अधिकारियों ने खुद के बनाए नियम को तार-तार कर दिया। कई शराब दुकानें ऐसी हैं जहां योग्यता नहीं सेटिंग काम करती है। हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर से लगे मंदिर हसौद के शराब दुकान की। विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां के सेल्समैन व सुपरवाइजर इस योग नहीं कि अधिकारियों द्वारा दिए गए पद पर आसीन हो सकें।

सेटिंग के विभाग में सब है संभव...

रायपुर का आबकारी विभाग है या सेटिंग विभाग यह बता पाना संभव नहीं है। आपकी योग्यता चाहे जितनी भी हो अगर आपकी सेटिंग विभागीय अधिकारियों से अच्छी है तो आपको आपका मनचाहा पद जरूर ही मिलेगा। इसी का फल स्वरूप है कि कभी-कभी ब्लैक लिस्टेड व्यक्तियों को भी कार्य पर रख लिया जाता है। आज का मामला ब्लैक लिस्टेड व्यक्तियों से तो जुड़ा नहीं है लेकिन अयोग्य व्यक्तियों से जुड़ा हुआ जरूर है।

मिली जानकारी के अनुसार राजधानी रायपुर से लगे मंदिर हसौद के कंपोजिट शराब दुकान के सुपरवाइजर कुंज लाल जायसवाल 12वीं पास है। और सुपरवाइजर की कुर्सी पर आसीन है। वहीं इसी दुकान के एक और कर्मचारी दुर्गेश सिन्हा 10वीं पास है जिसे सेल्समैन के पद पर आसीन किया गया है।

आबकारी नियम की माने तो जिसके पास स्नातक की डिग्री होती है उसे सुपरवाइजर व जिसके पास 12वीं की डिग्री होती है उसे सेल्समैन के पद पर कार्य करने के योग्य माना जाता है। और कार्य पर नियुक्त किया जाता है। लेकिन यहां तो मामला ही शायद कुछ उल्टा है। आबकारी अधिकारी ने बिना किसी जांच पड़ताल किए इन आयोग्य व्यक्तियों को योग्य व्यक्तियों की कुर्सी पर बैठा दिया। सिर्फ इतना ही नहीं मिली जानकारी के अनुसार मंदिर हसौद के शराब दुकान से प्रतिदिन कोचियाओं को शराब पड़ोसी जाती है। जिससे कई आबकारी अधिकारियों के शायद जेब भी गर्म होते हैं।

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