अब हाई कोर्ट में जज बनना नहीं रहा आसान: सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने अपनाई सख्ती, इंटरव्यू अनिवार्य

भारत में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया अब पहले की तुलना में अधिक कठिन हो गई है। पहले, उच्च न्यायालयों के कोलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों में से लगभग 85 से 90 प्रतिशत को मंजूरी मिलती थी, और केवल 10 से 15 प्रतिशत नाम ही खारिज किए जाते थे। हालांकि, अब यह सफलता दर घटकर 50 प्रतिशत से भी कम हो गई है।
इस परिवर्तन का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा उम्मीदवारों के व्यक्तिगत साक्षात्कार का आयोजन है, जो उनकी न्यायिक क्षमता और उपयुक्तता का बेहतर मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में, जिसमें न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और सूर्यकांत शामिल हैं, इस प्रक्रिया को अपनाया गया है।
हाल ही में, 12 उच्च न्यायालयों से 101 नामों की सिफारिश की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने साक्षात्कार के बाद केवल 49 नामों को मंजूरी दी। इस नए साक्षात्कार प्रक्रिया का उद्देश्य न्यायपालिका में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है, ताकि न्यायाधीशों की नियुक्ति में उच्च मानकों को बनाए रखा जा सके।