Arpa Pairi Ke Dhaar’ की धुन ने बदल दिया स्टेशन का माहौल

रायपुर। शनिवार की सुबह Raipur Station पर कुछ अलग ही नज़ारा था। प्लेटफॉर्म पर जैसे ही राज्य गीत “Arpa Pairi Ke Dhaar, Mahanadi He Apar…” बजा, वहां मौजूद हर चेहरा मुस्कान से भर उठा। यात्रियों ने मोबाइल कैमरों में इस यादगार पल को कैद किया, तो कुछ ने ताली बजाते हुए गीत के बोलों को गुनगुनाया।

छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस पर आयोजित यह पहल न सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम था, बल्कि यह राज्य की मिट्टी, परंपरा और संस्कृति का सजीव प्रतीक बन गया।

छत्तीसगढ़ी अस्मिता की गूंज

गीत के बजते ही स्टेशन का माहौल भावनाओं से सराबोर हो गया। लोगों ने कहा कि इतने सालों में पहली बार ऐसा अनुभव हुआ जब रेलवे स्टेशन पर अपने राज्य की पहचान सुनाई दी।
यह गीत हर छत्तीसगढ़वासी के दिल में रच-बस गया है, जो प्रदेश की (Cultural Identity) का प्रतीक माना जाता है।

गीत की धुन ने यह संदेश दिया कि आधुनिकता के बीच भी अपनी जड़ों से जुड़े रहना गर्व की बात है।

अब हर प्रमुख स्टेशन पर बजेगा राज्य गीत

रायपुर रेलवे प्रशासन ने निर्णय लिया है कि अब राज्य के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर rpa Pairi Ke Dhaar और छत्तीसगढ़ी लोकगीत बजाए जाएंगे।
यह कदम यात्रियों में स्थानीय गर्व और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा देगा।

इस योजना को छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस से जोड़कर लागू किया गया है, ताकि प्रदेश आने-जाने वाला हर व्यक्ति यहां की लोकसंस्कृति का अनुभव कर सके।

स्थानीय भावनाओं का सम्मान

कुछ समय पहले यह मांग उठी थी कि राज्य के सार्वजनिक स्थलों पर प्रदेश की संस्कृति से जुड़े गीतों को स्थान दिया जाए। उसी मांग के आधार पर रेलवे प्रशासन ने यह निर्णय लिया।
1 मिनट 15 सेकंड की यह धुन अब हर दिन स्टेशन पर बजेगी, जो लोगों को यह याद दिलाएगी कि यह धरती धान, गीत और परंपरा की मिट्टी से बनी है।

रजत जयंती वर्ष में नई पहल

छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष पर यह पहल राज्य की पहचान को नए सिरे से परिभाषित करती है। Raipur Station अब सिर्फ यात्रा का केंद्र नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी गर्व का प्रतीक भी बन गया है।

गीत की मधुर लहरियों के बीच जब लोगों ने एक स्वर में ‘अरपा पैरी के धार’ दोहराया, तो लगा मानो पूरा स्टेशन “हमर छत्तीसगढ़” की भावना में डूब गया हो।

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