शराब दुकान का एक ऐसा सुपरवाइजर जो मेंटेन करता है फार्च्यूनर कार… अयोग्य होते हुए भी बन बैठा सुपरवाइजर…

अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान...

रायपुर। यह कहावत शराब दुकान के एक सुपरवाइजर पर यथार्थ फिट बैठती है। क्योंकि आबकारी अधिकारी के सानिध्य में सुपरवाइजर किशन देवांगन खूब फल फूल रहा है। और अपने साथ-साथ अपने सर्कल के आबकारी अधिकारी के जेब का भी बखूबी ध्यान रख रहा है। शायद यही कारण है कि आबकारी विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड में फिट नही बैठने के बावजूद भी किसान देवांगन वर्तमान में चंदनडीह स्थित देसी शराब दुकान का सुपरवाइजर बन बैठा है।

वर्ष 2020 में जब आबकारी विभाग द्वारा A2Z कंपनी को शराब दुकान में कर्मचारियों के पद स्थापना की जिम्मेदारी सौंप थी उसे वक्त किशन देवांगन ने फर्जी तरीके से दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर सुपरवाइजर के पद पर आसीन हुआ।

आबकारी विभाग द्वारा निश्चित मापदंडों के अनुसार जो व्यक्ति स्नातकधारी हो अर्थात जिन्होंने किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर चुका हो उसे ही इस पद के योग्य अथवा उस युवा को ही सुपरवाइजर बनने के योग्य माना गया है। मगर यहां गंगा उल्टी दिशा में बह रही हैं।

अयोग्य सुपरवाइजरों के कंधे राजस्व का भार…

विभागीय सूत्रों की मने तो चंदनडीह स्थित देशी शराब दुकान का वर्तमान सुपरवाइजर किशन देवांगन के पास ना तो किसी भी विषय की डिग्री है और ना डिप्लोमा बल्कि जिस मुखबिर के माध्यम से जो जानकारी हम तक पहुंची हैं उसके मुताबिक यह बंदा पांचवीं कक्षा भी शायद ही उत्तीर्ण किया है। अब एक बड़ा सवाल यहां पर यह उठता है कि आबकारी विभाग द्वारा अगर किसी व्यक्ति की जॉइनिंग की जाती है तो क्या उसके दस्तावेजों का क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं किया जाता…? अगर किया जाता है तो यह व्यक्ति आज सुपरवाइजर के पद पर कैसे आसीन है क्योंकि सुपरवाइजर तो छोड़िए सब यह व्यक्ति आबकारी विभाग द्वारा तय माप डंडों के हिसाब से शराब दुकान में कार्य करने योग्य ही नहीं है।

फर्जी डिग्री के आधार पर पहले राजधानी रायपुर के टाटीबंध स्थित देसी शराब दुकान और अब चंदनडीह देसी शराब दुकान का सुपरवाइजर बन बैठा है ! यह सवाल जिला आबकारी उपायुक्त के कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करता है कि कहीं कोई बड़ी मिलीभगत तो नहीं ?

बहरहाल यह पूरी खबर विभागीय सूत्रों से हमतक आई है और cgtimesnews.in अपनी मुहर नहीं लगाता।

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