शेखर बंजारे के नाम दर्ज कई रिकॉर्ड, विभागीय अधिकारियों से मिला भरपूर सहयोग, जांच करने जब पहुंची उड़न दस्ता की टीम तो नजारा देख रह गई दंग…

रायपुर। राजधानी रायपुर की शराब दुकानों में ओवररेटिंग पर भले ही लगाम लगी हो, लेकिन अवैध कमाई के तौर-तरीकों में कोई कमी नहीं आई है। अब दुकानों के सुपरवाइजर और कर्मचारी नया तरीका अपनाकर मोटी कमाई करने में जुटे हैं। कभी ओवररेटिंग तो कभी कोचियों को बड़ी मात्रा में शराब सप्लाई करने जैसे मामलों के बाद अब एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है — शराब में मिलावट का।

यह मामला रायपुर के लालपुर स्थित शराब दुकान का है, जिसकी जिम्मेदारी सुपरवाइजर शेखर बंजारे के पास है। आबकारी विभाग की छापेमारी में यहां 229 पेटियों में मिलावटी शराब बरामद की गई है। ये सभी बोतलें अलग-अलग ब्रांड की थीं, जिनमें कथित रूप से मिलावट कर अवैध तरीके से बिक्री की जा रही थी।

इस कार्रवाई में राज्य उत्पाद आबकारी अधिकारी नीलम किरण सिंह, आबकारी अधिकारी राजेंद्र तिवारी और उनकी टीम मौजूद रही। छापे में जो खुलासा हुआ है, उसने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब राजधानी में ओवररेटिंग पर लगाम लगाने वाले आबकारी आयुक्त रामकृष्ण मिश्रा जैसे अधिकारी की निगरानी में यह सब हो रहा है, तो फिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई? क्या यह घटना सिर्फ कर्मचारियों की करतूत है या फिर विभाग के अंदरूनी स्तर पर भी कोई साठगांठ है?

पूर्व में भी शेखर बंजारे पर लग चुके हैं गंभीर आरोप, चुप्पी साधे बैठे रहे अधिकारी...

लालपुर शराब दुकान सुपरवाइजर शेखर बंजारे पर पूर्व में भी गंभीर आरोप लगा चुके हैं शेखर बंजारे पर शराब दुकान में नौकरी लगवाने के नाम पर हिमेश कौशिक से 90 हज़ार की उगाही के गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन इस और ना ही विभागीय अधिकारी और ना ही BIS प्लेसमेंट कंपनी के आला अधिकारियों ने कोई ध्यान दिया।

बता दें कि बिलासपुर के रहने वाले हिमेश कौशल के साथ शेखर बंजारे ने 90 हज़ार रुपए की धोखाधड़ी की जिसकी शिकायत हिमेश कौशिक ने रायपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में की है। दरअसल लालपुर शराब दुकान सुपरवाइजर शेखर बंजारे ने हिमेश कौशल से 40 हज़ार रुपए अपने भाई चयनदास बंजारे के फोन-पे पर व 50 हज़ार रुपए कैश ठग लिए। जिसके बाद दो दिनों तक नौकरी भी करवाई गई और फिर दस्तावेज पूर्ण नहीं होने का हवाला देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

अवैध तरीके से व्यक्तियों को नौकरी दिलवाना, पढ़ें दुकान संचालक की कहानी...

छत्तीसगढ़ की साय सरकार आज अपने सुशासन तिहार के तीसरे चरण को सफलता पूर्वक अंजाम देने की कोशिश में लगे हुए हैं। खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुशासन तिहार की कमान संभाल रखी है। सिर्फ इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भी शराब दुकानों का जायजा लेने के लिए शराब दुकानों में औचक निरीक्षण के लिए पहुंच रहे हैं। इसी सुशासन तिहार के बीच लालपुर शराब दुकान सुपरवाइजर शेखर बंजारे कुशासन की डोर खींच रहा हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ की न्याय धानी कहे जाने वाले बिलासपुर निवासी हिमेश कौशल से लालपुर शराब दुकान सुपरवाइजर शेखर बंजारे उर्फ भोला ने 90 हज़ार की उगाही की है। हिमेश ने बताया कि शेखर बंजारे ने 40 हज़ार फ़ोन पे के माध्यम से लिए हैं। वहीं 50 हज़ार कैश लिए हैं। जब हिमेश ने अपने पैसे वापस मांगे तब शेखर ने हिमेश को घुमाना शुरू कर दिया। जिससे तांग आ कर आज हिमेश कौशिक ने रायपुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शेखर के नाम लिखित शिकायत की है।

यह पूरी घटना 24 सितंबर 2024 की है। हिमेश ने जिस फोन पे खाते में 40 हज़ार रुपये ट्रांसफर किए हैं। वह किसी चयनदास बंजारे का है। बताया जा रहा है कि चयनदास बंजारे व शेखर बंजारे रिश्ते में भाई लगते हैं। वहीं चयनदास बंजाये पूर्व में ही शराब दुकान से अनियमितताओं के कारण ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है।





बता दें कि शेखर बंजारे का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी शह में भी लालपुर शराब दुकान का सुपरवाइजर शेखर बंजारे पर ऐसे ही आरोप लग चुके हैं। शेखर बंजारे ने कंपनी के कर्मचारियों व आबकारी विभाग के अधिकारीयों से सांठगांठ कर अपने परिचित व्यक्तियों को शराब दुकान में कार्य करने के लिए नौकरी पर लगवाता है जिसके ऐवज में शेखर बंजारे मोटी कमाई भी करता है| शेखर बंजारे ने करण मंडावी नामक व्यक्ति से भी एक लाख रुपए लिए थे करण मंडावी ने बताया कि शेखर ने उससे यह कह कर पैसे लिए कि उसे वह शराब दुकान में नौकरी पर लगवाए गा। करीब एक माह तक करण ने संतोषी नगर स्थित शराब दुकान में मल्टी के पद पर कार्य भी किया।

जब करण के सैलरी का समय आया तो उसे यह कह कर कार्य से निकाल गया कि वह अभी नाबालिग है। इसी के साथ करण से त्याग पत्र पर भी दस्तख़त करवा लिया गया जिससे कि भविष्य में करण को न तो पैसे देने पड़े और न ही कोई BIS कंपनी या शेखर बंजारे पर आरोप लगा सके। जब करण ने अपने पैसे शेखर से वापस मांगे तो शेखर उसे घुमाने लगा। वहीं करण के मुताबिक शेखर ने उसे वर्तमान में सिर्फ 50 हज़ार की रकम वापस की है बकि की रकम के लिए शेखर करण को आज भी घुमा रहा है।

जांच में जो भी सामने आए, लेकिन यह साफ है कि शराब बिक्री से जुड़े भ्रष्ट तरीकों ने अब एक खतरनाक मोड़ ले लिया है, जिससे न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि जनता की सेहत भी खतरे में पड़ रही है।

शेखर बंजारे के नाम इतने सारे रिकॉर्ड दर्ज है बावजूद इसके न ही संबंधित और न ही विभागीय अधिकारियों ने इस और किसी भी तरीके की कोई भी कार्रवाई की। इतना ही नहीं आबकारी विभाग में हो रहे इस गड़बड़ घोटाले ने आबकारी विभाग के तमाम अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर बड़े प्रश्न खड़े कर रहे हैं। भले से आबकारी उपयुक्त रामकृष्ण मिश्रा के पदभार ग्रहण करने के साथ ही राजधानी रायपुर से ओवर रेटिंग में दम तोड़ दिया हो लेकिन शराब में मिलावट एक बड़ा अपराध है जिसे शायद विभाग के अधिकारी भी नहीं रोक पा रहे हैं।

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