अजगर की तरह खोखला कर रहे सरकारी खजाने को, जिम्मेदार कौन पता नहीं लगा पाए अधिकारी… प्रदेश के कई शराब दुकान झेल रहे घटती का मार…

रायपुर| छत्तीसगढ़ सरकार की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ का सरकारी शराब दुकान आज खुद ही कर्ज तले दबा हुआ है| प्रतिदिन लाखों रूपये की बिक्री करने वाले शराब दुकान में आज स्वयं ही लाखों रूपये के घटती में हैं| हर महीने कंपनी व सीए द्वारा सारे शराब दुकानों का ऑडिट भी कराया जाता है| बावजूद इसके विभागीय अधिकारी आजतक घटती करने वाले व्यक्ति की तलाश नहीं कर सकते|
राजधानी के कुछ चुनिंदा दुकान हैं कर्ज तले...
राजधानी रायपुर के कई ऐसे शराब दुकान हैं जिनका प्रतिदिन का सेल (बिक्री) 4-5 लाख का होता है| कई बार सेल घटने की वजह से विभागीय अधिकारीयों द्वारा दुकान के सुपरवाइजर व् अन्य कर्मचारियों को सेल बढ़ाने का टारगेट भी दिया जाता है| जिससे सरकारी खजाने में अधिक से अधिक इजाफा हो सके| बहरहाल वर्तमान की स्थिती ऐसी है कि सरकारी खजाने को भरने में अपनी अहम् भूमिका निभाने वाले शराब दुकान खुद ही घटती का मार झेल रहे हैं| अगर राजधानी की बात की जाये तो राजधानी रायपुर के तेलघानीनाका स्थित गंज शराब दुकान जो की BIS के एरिया मैनजर राजा सारथी के देखरेख में आता है| इस दुकान की कमान राकेश साहू (सुपरवाइजर) के कंधों पर सौंपी गई है| जानकारी के अनुसार ये वही राकेश साहू हैं जिन्हें पूर्व में तत्कालीन आबकारी अधिकारी इकबाल खान द्वारा दुकान से हटाया गया था| 2 वर्ष पूर्व जब इन्हें दुकान से हटाया गया था तब इन पर आरोप लगा था की ये साहब सरकारी खजाने को भरने से ज्यादा अपने जेब को भरने में ध्यान देते हैं| आसन शब्दों में कहा जाये तो राकेश साहू पर उस वक्त शराब की ओवर रेटिंग, शराब दुकान ने छीना झपटी जैसे गंभीर आरोप लगे थे जिक्से बाद तत्कालीन आबकारी अधिकारी इकबाल खान द्वारा इन्हें बहार का रास्ता दिखाया गया था वहीं अब विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एरिया मैनजर राजा सारथी ने इससे मोटी रकम की वसूली कर गंज के शराब दुकान का सुपरवाइजर न्युक्त कर दिया|
वहीं अब राकेश साहू धीरे-धीरे कर पुरे दुकान को ही खोखला कर रहा है| नाम न उजागर करने के एवज में कुछ दुकान के कर्मचारियों ने बताया कि गंज का यह सरकारी शराब दुकान वर्तमान समय में 2 से 3 लाख रूपये की घटती की मार झेल रहा है| इसके लिए एक कहावत बड़ा ही फेमस है राजा के कदम जिस भी दुकान में पड़े वः दुकान खाली होते चले गए| इतिहास के पन्नो पर अगर नजर डाली जाये तो राजा को जिस भी दुकान का मैनजर बनाया गया वह दुकान खुद ब खुद घटती की मार झेलने लगा| वहीं अगर अभनपुर की बात की जाए तो अभनपुर के विदेसी शराब की भी यही कहानी है| पूर्व के सुपरवाइजर गोपी बंजारे के कार्यकाल के दौरान यह दुकान 85 हज़ार रूपये की घटती की मार झेल रहा था| जिसका पता चलते ही गोपी बंजारे को उसके कार्य से पृथक कर दिया गया| और गोपी बंजारे की जगह एक ब्लैक लिस्टेड कर्मचारी सतेंदर सिंह को नौकरी पर रख लिया गया|
प्रतिदिन की बिक्री का कलेक्शन प्रतिदिन जमा करना होता है बैंक में...
आबकारी नियमों की बात की जाए तो आबकारी नियमों के अनुसार प्रतिदिन शराब दुकान में जितने का भी शराब बिका हो उसका पूरा कलेक्शन उसके दुसरे दिन ही बैंक में जमा करना होता है| आबकारी विभाग द्वारा कैश के कलेक्शन की जिम्मेदारी भी एक कंपनी को सौंपी जाती है| जो हर दुकान में जाकर प्रत्येक दुकानों के शराब बिक्री के कैश का उठाव कर सरकारी खजाने में जमा करता है| अब एक बड़ा सवाल यह उठता है कि प्रतिदिन के कैश का उठाव होने के बावजूद आज सरकारी खजाने को भरने वाले शराब दुकान खुद ही खली कैसे होते जा रहे हैं?