डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी मंदिर विवाद सुलझने की दिशा में, समाज और ट्रस्ट ने दिए शांति के संदेश

डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ की धर्मनगरी डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति और सर्व आदिवासी समाज के बीच नवरात्र के दौरान शुरू हुआ विवाद अब शांत होता नजर आ रहा है। पंचमी भेंट को लेकर शुरू हुआ यह मामला संवाद और स्पष्टिकरण के चरण में पहुंच गया है।

विवाद की शुरुआत नवरात्र पर्व के पंचमी दिवस पर हुई थी, जब आदिवासी समाज के कुछ सदस्यों ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर शक्ति प्रदर्शन किया था। इसके बाद समाज विशेष के ध्वज लगाने और ट्रस्ट समिति को भंग करने के साथ 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग ने मामले को और गहरा दिया था। पंचमी भेंट में आदिवासी समाज की ओर से शामिल हुए राजकुमार भवानी बहादुर सिंह के बयान ने विवाद को राजनीतिक और सामाजिक रंग दे दिया था।

विवाद बढ़ने के बाद मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति ने समाज प्रमुखों की बैठक बुलाई और सभी से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। बैठक के बाद एसडीएम एम. भार्गव को ज्ञापन सौंपते हुए मंदिर की परंपरा और गरिमा की रक्षा की मांग की गई।

सोमवार शाम मंदिर परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी समाज के कई प्रमुख नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह विवाद पूरे समाज का नहीं, बल्कि कुछ व्यक्तियों की व्यक्तिगत हरकत का परिणाम है। गोंड़ समाज अध्यक्ष एवं जनजातीय गौरव समाज के प्रदेश अध्यक्ष एम.डी. ठाकुर, कंवर समाज के आत्माराम चंद्रवंशी, भीष्म लाल उर्वशा, नीलचंद गढ़े, पंचूराम पड़ोती और हल्बा समाज के नेपाल सिंह सहित कई प्रतिनिधियों ने कहा कि मां बम्लेश्वरी देवी सभी समाजों की आराध्य हैं और मंदिर किसी एक जाति विशेष का नहीं है। समाज विशेष का ध्वज लगाना अनुचित बताया गया।

एम.डी. ठाकुर ने राजकुमार भवानी बहादुर सिंह की कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मंदिर ट्रस्ट के अधीन है और ट्रस्ट पदाधिकारियों को भी गर्भगृह में स्वतंत्र रूप से प्रवेश की अनुमति नहीं है। ऐसे में जबरन प्रवेश आस्था नहीं, बल्कि अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि 15 नवंबर को प्रस्तावित प्रदर्शन के लिए किसी भी आदिवासी समाज की सहमति नहीं है।

समाज के प्रतिनिधियों ने शांति और एकता का संदेश देते हुए कहा कि मंदिर की पवित्रता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी भ्रामक प्रचार या उकसावे में न आएं। साथ ही बताया कि ट्रस्ट समिति में आदिवासी समाज के सदस्य पहले से शामिल हैं और सदस्यता प्रक्रिया सभी के लिए खुली है।

फिलहाल स्थिति शांत है, लेकिन 15 नवंबर को घोषित बंद और प्रस्तावित प्रदर्शन को लेकर प्रशासन सतर्क है। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह विवाद पूरी तरह समाप्त होगा या फिर इसका नया अध्याय शुरू होगा।

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