रायपुर में हनुमंत कथा का दिव्य महाकुंभ, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने श्रद्धालुओं को किया संबोधित

रायपुर। 4 से 8 अक्टूबर तक अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढ़ियारी में युवा समाजसेवी चंदन-बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में स्व. श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्री हनुमंत कथा का दिव्य महाकुंभ सम्पन्न हुआ। कथा विश्रांति के दिन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी उपस्थित हुए और श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन दिया।

धर्म और सामाजिक समरसता का संदेश...

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका और प्रभु श्रीराम का ननिहाल है। उन्होंने बाबा पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का प्रदेश में स्वागत करते हुए कहा कि उनके आर्शीवाद से नक्सलवाद पर विजय संभव हो रही है और प्रदेश में विकास की गति बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि गाय को गौमाता का दर्जा देने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी।

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दिव्य संदेश...

कथा विश्रांति पर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि “बिच्छु के पास जहर है, लेकिन महात्माओं के पास भजन और तप।” उन्होंने छत्तीसगढ़ पुलिस की साइबर जागरूकता मुहिम की सराहना की और लोगों से कहा कि सावधानी के साथ ऑनलाइन लेन-देन करें। महात्मा ने लोगों को आत्मा और मन के सही संतुलन का संदेश दिया—“बाहर से संसारी, अंदर से सन्यासी बनो।” उन्होंने धर्म और रामभक्ति के महत्व को समझाते हुए कहा कि हनुमान जी के चरण पकड़ने वाला भक्त जीवन में विजयी होता है। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने धर्मांतरण विरोध और सामाजिक जागरूकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बस्तर में धर्मांतरण की गतिविधियों को रोका जाएगा और छत्तीसगढ़ की जनता सद्भाव और एकता के साथ आगे बढ़ेगी।

युवा समाजसेवी चंदन-बसंत अग्रवाल ने व्यक्त किया आभार...

कथा आयोजन के सफल समापन पर चंदन-बसंत अग्रवाल ने कहा कि 5 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने दिन-रात मेहनत कर इस दिव्य महाकुंभ को सफल बनाया। उन्होंने कहा, “हम तो केवल व्यवस्था करने वाले हैं, असली कथा संचालन हनुमान जी का है। मलूखपीठाधिश्वर अभिरामदेवाचार्य महाराज और राजीव लोचन महाराज ने भी छत्तीसगढ़ के लिए संतों के योगदान और धर्म संवर्धन में उनकी भूमिका पर गर्व जताया। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रयास से श्रद्धालुओं और आम जनता को राम और धर्म से जोड़ने का अवसर मिला। इस प्रकार, रायपुर में हनुमंत कथा का यह महाकुंभ धर्म, भक्ति और सामाजिक चेतना का प्रतीक बनकर उभरा।

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