रायपुर — शराब घोटाले में बड़ा मोड़: चैतन्य बघेल की रिमांड 24 अक्टूबर तक बढ़ी, इस बार दिवाली जेल में ही कटेगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में युवा बघेल परिवार के लिए मुश्किल घड़ी बढ़ती जा रही है — विशेष अदालत ने भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की न्यायिक रिमांड 24 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। ईडी ने बची हुई जांच और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की पड़ताल के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
अदालत के इस आदेश के बाद यह साफ़ है कि चैतन्य बघेल इस बार अपनी दिवाली जेल में बिताएंगे। शुक्रवार की पेशी के दौरान ईडी ने दावा किया कि कुछ अहम साक्ष्य व दस्तावेजों की जांच अभी पूरी नहीं हुई है, इसलिए रिमांड अवधि बढ़ाना आवश्यक है — अदालत ने यह अनुरोध मान लिया और छः सप्ताह की बढ़ोतरी कर दी।
यह मामला पिछले दो वर्षों से छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और सार्वजनिक चर्चा का प्रमुख केन्द्र रहा है। आरोप हैं कि सरकारी और निजी गठजोड़ के जरिए करोडों रुपये के कथित घोटाले की रचना की गई — इसमें कई अधिकारी, व्यवसायी और राजनीतिक हस्तियां जांच के दायरे में हैं। चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी ने मामले को और राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया है क्योंकि यह सीधे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिवार से जुड़ा है।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने ईडी और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को निर्देश दिए हैं कि वे तीन महीने के भीतर जांच आगे बढ़ाकर दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करें — जैसा कि अदालत ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में भी कहा था: “इस जांच को दो साल हो चुके हैं, अब इसे मुकाम तक पहुंचाना जरूरी है”।
ईडी ने जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा...

अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होने वाली है — तब तक ईडी को अपनी प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा और अदालतों की सुनवाई शेड्यूल को मिलाकर आने वाले दो महीने इस घोटाले की दिशा तथा राज्य की राजनीतिक हलचल तय करने में निर्णायक साबित होंगे।
क्या अगला कदम हो सकता है?
- यदि ईडी को अब भी और समय चाहिए तो वह फिर से रिमांड बढ़ाने का अनुरोध कर सकती है, पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश प्रक्रिया को तेज करने के संकेत देते हैं।
- दूसरी ओर प्रतिवादी पक्ष कानूनी विकल्पों के साथ चुनौती में जा सकता है — जैसे रिमांड के खिलाफ याचिका या अग्रिम जमानत की मांग।